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अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन

  • CWC Rule 2016 amendemnt G.S.R. 411(E) 25 june 2020 ( 1.32 एमबी ) pdf

  • CWC act 2000 Schedule chemical list amendment S.O. 1459(E). dated 12 may 2020 ( 1.32 एमबी ) pdf


  • रासायनिक हथियार कन्वेंशन

    भारत, रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्लू) के रासायनिक हथियार कन्वेंैशन (सीडब्ल्यूसी) का हस्ताक्षरकर्ता और पक्षकार राष्ट्र है, जिसका मुख्यांलय दी हेग, नीदरलैंड में स्थिसत है। यह कन्वेंाशन एक सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण, बहु-पक्षीय, निरस्त्रीकरण संधि है, जिसका उद्देश्यत रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पाेदन, भंडारण और प्रयोग पर प्रतिबंध लगाना है और रासायनिक हथियार मुक्तन विश्वव सुनिश्चिंत करने के उद्देश्‍य से इसके उन्मूधलन पर नजर रखना है। भारत ने जनवरी, 1993 के 14वें दिन इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने इस कन्वेंैशन के प्रावधानों के अनुसरण में रासायनिक हथियार कन्वेंकशन अधिनियम, 2000 को अधिनियमित किया। आज की तिथि में, 193 राष्ट्र इस कन्वेंधशन के पक्षकार हैं। भारत अपने रासायनिक हथियारों के भंडार को नष्ट कर, इस कन्वेंाशन के सभी पक्षकार राष्ट्रों के मध्यू रासायनिक हथियार मुक्त पक्षकार राष्ट्र् का दर्जा हासिल करने वाला पहला पक्षकार राष्ट्रर था।


  • कन्वेंशन का पाठ

  • सीडब्ल्यूसी अधिनियम 2000 ( 462.28 केबी ) pdf

  • सीडब्ल्यूसी (संशोधन) अधिनियम, 2012 ( 202.98 केबी ) pdf

  • सीडब्ल्यूसी अपील नियमावली, 2005 ( 24.32 केबी ) pdf

  • सूचनाएं

  • परिपत्र

  • सीडब्ल्यूसी प्रवर्तन अधिकारी ( 132.41 केबी ) pdf

  • रासायनिक हथियार कन्वेंशन पर हैंडबुक ( 7.08 एमबी ) pdf

  • रासायनिक हथियार कन्वेंशन पर हैंडबुक ( 7.08 एमबी ) pdf

  • औद्योगिक घोषणा पत्र

  • सीडब्ल्यूसी के तहत विभिन्न कोड के लिए परिशिष्ट

  • रसायन की अनुसूचियों की सूची

  • ओ पी सी डब्ल्यू की सदस्यता

  • सीडब्ल्यूसी के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्न ( 108.3 केबी ) pdf


  • रॉटरडैम कन्वेंशन

    पूर्व सूचित सहमति प्रक्रियाओं (पीआईसी) पर रॉटरडैम कन्वेंशन, जोकि 24 फरवरी, 2004 को लागू हुआ, एक कानूनी रूप से बाध्यकारी इन्ट्रू.0 मेंट है, जिसे 10 सितंबर 1998 को रॉटरडैम में कान्फ्रें स ऑफ प्लेनिपोटेंटियरीज़ द्वारा अपनाया गया था। भारत 24.05.2006 को इस कन्वें शन में शामिल हुआ।

    इस कन्वें शन का उद्देश्यआ मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को संभावित नुकसान से बचाने के लिए कतिपय खतरनाक रसायनों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पक्षकार राष्ट्रो के बीच साझा जिम्मेदारी और सहकारी प्रयासों को बढ़ावा देना है। यह उनकी विशेषताओं के बारे में सूचना के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाने, उनके आयात और निर्यात पर राष्ट्रीय निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रदान करने और पक्षकारों को इन निर्णयों से अवगत कराने के माध्यलम से इन खतरनाक रसायनों के पर्यावरण-अनुकूल उपयोग में योगदान देना चाहता है।

    इस कन्वेंएशन के तहत प्रत्येक पक्षकार से आवश्यक प्रशासनिक कार्यों के निष्पायदन के लिए एक राष्ट्रीय प्राधिकरण को नामित करने की अपेक्षा की जाती है। रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग औद्योगिक रसायनों के लिए नामित राष्ट्रीय प्राधिकरण (डीएनए) है और कृषि और सहकारिता विभाग कीटनाशकों के लिए डीएनए है।

    अनुलग्नक-III में कुल 50 रसायन सूचीबद्ध हैं, जिसमें कीटनाशकों और औद्योगिक रसायनों, दोनों श्रेणियों में 34 कीटनाशक (3 गंभीर रूप से खतरनाक कीटनाशक फॉर्मूलेशन सहित), 15 औद्योगिक रसायन और 1 रसायन शामिल हैं। पक्षकारों द्वारा इन रसायनों के लिए पीआईसी सचिवालय में अपनी आयात नीति की जानकारी देनी आवश्यक है। निर्यात करने वाले पक्षकार को, आयात करने वाले देश में प्रतिबंधित या गंभीर रूप से प्रतिबंधित रसायनों के संबंध में आयात पक्षकार को निर्यात अधिसूचना प्रदान करनी है। रासायनिक रसायनों के लिए डीएनए होने के नाते, रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग द्वारा औद्योगिक रसायनों के लिए अन्य पक्षों से प्राप्त निर्यात अधिसूचनाओं की जांच की जाती है और निर्यातक देश के डीएनए को पावती/उत्तर भेजा जाता है।



  • स्टॉकहोम कन्वेंशन

    13.01.2006 को भारत द्वारा अनुसमर्थित स्टॉकहोम कन्वेंशन, पर्सिसटेंट ऑर्गेनिक पाल्यूपटेंट (पीओपी) से मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए एक वैश्विक संधि है। पीओपी ऐसे रसायन होते हैं, जो लंबे समय तक पर्यावरण में बरकरार रहते हैं, भौगोलिक दृष्टि से व्यापक रूप से फैल जाते हैं, जीवित जीवों के फैटी टिसू में जमा होते हैं और मनुष्यों और वन्यजीव के लिए जहरीले होते हैं। पीओपी विश्व स्तर पर फैलते हैं और जहां भी वे पहुंचते हैं, नुकसान पहुंचा सकते हैं। 17 मई, 2004 को लागू होने वाले इस कन्वेंवशन में कहा गया है कि इसके क्रियान्वयन में, सरकार पर्यावरण में पीओपी के उत्स र्जन को खत्म करने या कम करने के उपाय करेंगे।

    स्टॉकहोम कन्वेंशन इरादतन उत्पादित सभी पीओपी (औद्योगिक रसायन और कीटनाशक) के उत्पाहदन और उपयोग के उन्मूलन या प्रतिबंध की मांग करता है। इस कन्वेंनशन का उद्देश्ये निरंतर न्यूनीकरण और जहां भी संभव हो, गैर-इरादतन उत्पादित पीओपी, जैसे डाइऑक्सीन्स और फुरन्स के उत्सरर्जन का अंतिम रूप से उन्मूलन कने का भी है। वर्तमान में स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत बीस रसायन शामिल हैं, जिनमें से डीडीटी का उपयोग भारत में प्रतिबंधित है। कृषि प्रयोजनों के लिए डीडीटी का उपयोग प्रतिबंधित है; इसका केवल वेक्टर नियंत्रण में उपयोग के लिए सीमित तरीके से उत्पाोदन होता है, क्योंकि भारत ने वेक्टर नियंत्रण के लिए डीडीटी के उपयोग के लिए छूट प्राप्त कर रखी है।

    पीओपी-युक्त भंडार और अपशिष्टों का अंतरराष्ट्रीय नियमों, मानकों और दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए, एक सुरक्षित, कुशल और पर्यावरण-अनुकूल तरीके से प्रबंधन और निपटान किया जाना चाहिए। प्रत्येक देश को इस कन्वेंुशन के तहत अपने दायित्वों को लागू करने के लिए एक योजना तैयार करने की आवश्यकता है। इस कन्वेंेशन के क्रियान्वयन में विकासशील देशों की सहायता के लिए एक अंतरिम वित्तीय तंत्र के रूप में एक वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) स्थापित की गई है।